Wednesday, 3 December 2014

तू अता हसत जा … 
जीवना जगत जा … 

पांडुरंग नामे 
अंतरी भजत जा … 

ज्ञान ही कस्तुरी 
मुक्त दरवळत जा … 

- प्रवीण बाबूलाल हटकर 
 
ध्येय तर भेटती 
त्या कडे पळत जा … 

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