Saturday, 31 March 2012

अभंग रचना...

 जीवन शोधता! शोधता जीवना!
पाहतो वेदना! साऱ्या ठाई!!

चक्र प्रवाहात! जीवन जगून!
बालक, तरुण! झालो वृध्द!
    
शोधार्थ जीवना! फिरुनी पाहतो!
बालक मी होतो! त्या-समयी!!

बाबांचा अभ्यास! आईची अंगाई!
होती नवलाई! भावंडांची!!

तरुण समयी! जीवन गणित!
बदलली रीत! वागण्याची!!

शोधायचे होते! माझेच अस्तित्व!
करुनी प्रस्ताव! भविष्याशी!!

शिकुनी झालोय! मोठा ब्यारीस्तर!
वाट खळतर! काढूनिया!!

कर्माशी इमानी! नाही बेईमानी!
करुनी सफाई! अन्यायाची!!

निवृत्त  झालोया! सत्कार हि झाला!
गौरवाने केला! मान मोठा!!

अजूनही आहे! खंत जीवनाची!
कळी प्रवासाची! ना कळाली!!

जगतो कशाला! जागतो कशाला!
व्यर्थच कशाला! रमतोय!!

हसणे रडणे! रुसणे फसणे!
उगाच सजणे! कुणासाठी!!

जन्म जगण्यासाठी! मृत्यू मरण्यासाठी!
जणू फसण्यासाठी! डाव सारा!!

स्वताच प्रवीण! होवुनी बोलतो!
विचार मांडतो! समक्ष हा!!

 गुंतुनीया ऐका! साखले विनतो!
जीव हा जगतो! जीवासाठी!!
         -प्रवीण हटकर.
  


  
        
          

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