कर्म से उपर,ना कोई है …
सच्चाई को धर्म ! झुटांई अधर्म !
पाप पुण्य कर्म ! दोनोसेही !
दिनरात पूजे ! राम चरित को !
साथ अधर्म को ! व्यर्थ हि हैं !!
साथ सच्चाई को ! प्रभू साथ रहे !
हा जीवन रहे ! खुशहाल !!
सून मेरे भाई ! प्रवीण सुनाई !
हैं सुनिसुनाई ! बात यह!
जैसा बोया वैसा ! आज तुने पाया !
नाही दुजा आया ! आजतक !!
बोवोगे करेला ! ना आयेंग गन्ना !
पोंओगे वहिना ! जो है बोया !!
सच्चाई से सच ! सकारात्मकता !
झुठ्से झुठता ! फरेबहि !!
धर्म या अधर्म ! आप पे निर्भर !
कर्म से उपर ! ना कोई है !!
कर्म सच्चाईसे ! सुकून पोंओगे !
या पछताओंगे ! अकर्मसे !!
(अभंग )
-प्रवीण बाबूलाल हटकर .
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