ऐ कागज कि कष्टी …
ऐ कागज की कष्टी,
तू जा इस घर से उस मकां तक
सडक के उस पार …
मेहबूब ई हमसफर के कदमोतले …
दिल ए पैगाम लेकर … हा रु ब रु हो …
एक गुफ्तचर कि तरह …
अब ध्यान से सुनो
मेरी आवाज को कानोमे बुनो …
ठीक बीच सडक मे है भवर
जो तुम्हे ले जायेन्गा पिताजीके ओर मोडकर …
या फेर सकता है मेरी ओर ,
हो सकता है डुबा दे साथ तुम्हे लेकर …
मुझे डर नही आपका डूबके खुदखुशी करणे का ?
फ़कत… है डर इस बात का ?
उसपर लिखा है एक नाम
ठीक मेरे नाम के आगे है उसका नाम …
एक नये रिश्ते कि शुरवात लिये …
मेरे मंजिल ई हमसफर के लिये …
-प्रवीण बाबूलाल हटकर
ऐ कागज की कष्टी,
तू जा इस घर से उस मकां तक
सडक के उस पार …
मेहबूब ई हमसफर के कदमोतले …
दिल ए पैगाम लेकर … हा रु ब रु हो …
एक गुफ्तचर कि तरह …
अब ध्यान से सुनो
मेरी आवाज को कानोमे बुनो …
ठीक बीच सडक मे है भवर
जो तुम्हे ले जायेन्गा पिताजीके ओर मोडकर …
या फेर सकता है मेरी ओर ,
हो सकता है डुबा दे साथ तुम्हे लेकर …
मुझे डर नही आपका डूबके खुदखुशी करणे का ?
फ़कत… है डर इस बात का ?
उसपर लिखा है एक नाम
ठीक मेरे नाम के आगे है उसका नाम …
एक नये रिश्ते कि शुरवात लिये …
मेरे मंजिल ई हमसफर के लिये …
-प्रवीण बाबूलाल हटकर
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