Saturday, 20 October 2012

अभंग...
नाम तुझे घेता! आसमंत झाला!
सुखे वर्षावला!! गजानना!!

रूप दिसे मला! अनंत अनंता!
सामान्य महंता! चराचरी!!
मी शुद्र तुझ्या! पाही विठूराया!
विठलासी काया! तू रुपिली!!

मेंढ्यास हाकितो! मल्हार भानोसी!
बाबा चाललासी! एकतेला!!
गजानन बाबा! तुझी अनुभूती!
शेगाव जाणती! स्वर्गापरी!!

जगत महंता! घे मज शरणा!
दे मज चरणा! जागा तुझ्या!!
प्रेमळ मावुली! तुझ्यात गावली!
मायेची सावली! देई आम्हा!!

प्रवीण जाणतो! शेगावी जो जातो!
स्वानंद हर्षितो! मनोमनी!!
          प्रवीण(डेबुजी) हटकर।  
          मो. ८०५५२१३२८१
                अकोला

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