Friday, 20 September 2013

   तो क्या बात है  ….
   हर समझ को कोई समझ जाये
   तो क्या बात है
  हर इंसा इंसानियात को समझ जाये
  तो क्या बात ही ….

 मैने तो देखा है  पत्थारोको पिघलते हुये
  ए  दोस्त
 एक तेरा दिल पिघल जाये
  तो क्या बात है …

  तेरे डरसे जी रहा हु … जिया हु
  मर मर के सो बार
  "दुश्मन" तेरा खात्मा कंर मोत सरहद पे हो जाये
  तो क्या बात है … 

  -प्रवीण बाबूलाल हटकर 

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