युगो-युगोसे सिनेमे
गमोके बीज बोये है
मुस्कुराते पल्कोके नीचे
हम बंद अखीयनमे रोये है …
आंधी, तुफां जलजले भरे
मोहब्बत के ईस राह मे
हम चंद बिखरे लम्होको
साथ अपने संझोये है …
अब हमे पत्थरोके
पिघलनेका इंतजार नही
हा! वोभी तो किसीके यादमे
झरने बनकर रोये हे …
ऐ मोहिनी तुझे भवर कहू
या मेरी मन की कल्पना
तेरी कयामत भरी नजरोमे
हम सदियोसे खोये है ….
शायद आप अंजान होंगे
हमारे दर्द ये दासतांसे,
ना आज तक कब्र्मे मे
हम चैनसे सोये है ….
-प्रवीण बाबूलाल हटकर
गमोके बीज बोये है
मुस्कुराते पल्कोके नीचे
हम बंद अखीयनमे रोये है …
आंधी, तुफां जलजले भरे
मोहब्बत के ईस राह मे
हम चंद बिखरे लम्होको
साथ अपने संझोये है …
अब हमे पत्थरोके
पिघलनेका इंतजार नही
हा! वोभी तो किसीके यादमे
झरने बनकर रोये हे …
ऐ मोहिनी तुझे भवर कहू
या मेरी मन की कल्पना
तेरी कयामत भरी नजरोमे
हम सदियोसे खोये है ….
शायद आप अंजान होंगे
हमारे दर्द ये दासतांसे,
ना आज तक कब्र्मे मे
हम चैनसे सोये है ….
-प्रवीण बाबूलाल हटकर