अभंग...
सद्कर्म ज्याचा! धर्म झाला आहे!
जाणलेला आहे! तो सत्यार्थी!!
संत येती जगी! मार्ग दाखवाया!
सत्य कर्म व्हाया! कार्यातुनी!!
मार्ग दाखविला! सत्यार्थ मनन!
सत्यासी पूजन! मनोमनी!!
ब्रम्हांड नायक! प्रकटले जगी!
गजानन जोगी! कल्याणासी!!
गण गण बोते! गणात सांगुनी!
मनात रुजुनि! उद्धारले!!
बाबा शिकविती! एकतेचा सार!
माणूस आधार! माणसाचा!!
भेद भाव वर्ण! हे सारेच थिटे!
जया अंगी दाटे! माणुसकी!!
माणुसकी आहे! ओळख माणूस!
जागून माणूस! अंतरीला!!
जया अंगी नाही! माणसाची जान!
तया अंगी ठाण! मी पनाचा!!
धर्म तोची खरा! माणूस उद्धार!
माणूस विचार! जो नेमिला!!
श्री स्वामी समर्थ! गजानन बाबा!
आणि साईबाबा! एकी आहे!!
उद्देश तयांचा! मानव उद्धार!
एकतेचे द्वार! मनी जागो!!
एकतेचा धर्म! एकतेचा कर्म!
एकतेचा मर्म! जोपासावे!!
प्रवीण नमतो! संतांच्या चरणी!
ठेवूनी स्मरणी! कार्य तया!!
प्रवीण(डेबुजी) हटकर.
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