अभंग...
=श्री गजानन जय गजानन=
धावुनीया आला! संकटासी राणा!
देवा गजानना! कृपावंता!!
शेगावीचा राणा! जानुनी महत्व!
एकतेचे सत्व! जपलेले!!
मावुली जगासी! प्रेम अर्पियले!
प्रेम जगविले! प्रेमवंता!!
उद्धार मानवा! होण्या प्रकटले!
मना झटकले! भेदभाव!!
शेगाव पंढरी! काशी-स्वर्गापरी!
एकता कैवारी! गजानना!!
प्रवीण नमतो! पूजितो, भजतो!
नाम हि स्मरतो! गजानन!!
प्रवीण अंतरी! स्वामी तुझी जोत!
ठेवसी पेटत! श्वासाश्वसा!
-प्रवीण(डेबुजी) हटकर.
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