Friday, 3 August 2012

अभंग...

विठू माझा गुरु! ज्ञान कल्पतरू!
नाम तुझ्या सुरु! सद्कार्य!!

विठू सुखकर्ता!विठू विघ्नहर्ता!
तै नाम स्मरता! सुखावितो!!

विठ्ठल विठ्ठल! जप अंतरित!
मन सुहासित! कस्तुरीसी!!

विठ्ठला भजावे! निर्मळ निर्माल्य!
जीवन साफल्य! तै होयील!!

प्रवीण रचतो! विठ्ठल चरणी!
जावून शरणी! बा... अभंग !!
-प्रवीण(डेबुजी) हटकर.

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