Friday, 7 February 2014

(ये सुबहकी पेहली किरण …. )


ये सुबहकी पेहली किरण
आकर तू मिल मुझे 
मेरी रुह्से गुफ्तगू कर
तेरी बाहोमे लिपट मुझे … 

तेरी नरम नरम धुप 
मेरी सांसोके मेह्काये 
मचले, बदले हुये दिलमे 
बेहकि बेहकि हलचल सुनाये … 
(ये सुबहकी पेहली किरण …. )

ये किरण तू आं, आ जा जरा 
मेरी सोचसे सोच मिला ले जरा 
तेरे बगेर मेरी सोच अंधेरसी है 
तू आकर रोशनीसा कर जा जरा …. 
(ये सुबहकी पेहली किरण …. )

-प्रवीण बाबूलाल हटकर 

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