(ये सुबहकी पेहली किरण …. )
आकर तू मिल मुझे
मेरी रुह्से गुफ्तगू कर
तेरी बाहोमे लिपट मुझे …
तेरी नरम नरम धुप
मेरी सांसोके मेह्काये
मचले, बदले हुये दिलमे
बेहकि बेहकि हलचल सुनाये …
(ये सुबहकी पेहली किरण …. )
ये किरण तू आं, आ जा जरा
मेरी सोचसे सोच मिला ले जरा
तेरे बगेर मेरी सोच अंधेरसी है
तू आकर रोशनीसा कर जा जरा ….
(ये सुबहकी पेहली किरण …. )
-प्रवीण बाबूलाल हटकर
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