हिंदीतील पहिली कविता...
आफत कि घंटा फिर बजी...
मैने पानीमे कागज कि नाव को
तैरता देख उसमे छलांग लगायी
पानीमे उसे डूबता देख
बोलो कितना मजा आया
भाई, बडा मजा आया...
तभी आफत कि घंटा बजी
समंदर मे भूछाल आया
भवर मे घुमती नय्या डुबता देख
बोलो कितना मजा आया
भाई, बडा मजा आया ...
हराभरा जंगल हर तरफ थी हरियाली
जंगल के बडे पेड तथा चिडीया,
जंगली जानवर का घर तुडवाया
बोलो कितना मजा आया
भाई, बडा मजा आया...
आफत की घंटा फिर बजी
बैठेथे घर मे तभी भूकंप आया
थोडा संभलकर देखा, घर जमीन मे पाया
बोलो कितना मजा आया
भाई, बडा मजा आया...
पंच्छियोको उडता देख
पतंग के धागे मे, तो कभी
मोबयील कि रेन्ज्से मार गिराया
बोलो कितना मजा आया
भाई, बडा मजा आया...
आफत की घंटा फिर बजी
बैठे थे हवाई जहाज मे
तभी मोसम खराब होनेकां संदेशा आया
झटसे बिजली कडकते, जहाज को मार गीराया
बोलो कितना मजा आया
भाई, बडा मजा आया ...
अब सोचो, थोडासा जाणो इंसांनो
अपने धर्म कर्म मर्म को पेहेचानो
अपनी ताकद का ना गलत इस्तमाल करो
फिरभी समझ न आया
तो कितना मजा आया
भाई, बडा मजा आया ....
-प्रवीण बाबूलाल हटकर.
मो: ८०५५२१३२८१
अकोला.
आफत कि घंटा फिर बजी...
मैने पानीमे कागज कि नाव को
तैरता देख उसमे छलांग लगायी
पानीमे उसे डूबता देख
बोलो कितना मजा आया
भाई, बडा मजा आया...
तभी आफत कि घंटा बजी
समंदर मे भूछाल आया
भवर मे घुमती नय्या डुबता देख
बोलो कितना मजा आया
भाई, बडा मजा आया ...
हराभरा जंगल हर तरफ थी हरियाली
जंगल के बडे पेड तथा चिडीया,
जंगली जानवर का घर तुडवाया
बोलो कितना मजा आया
भाई, बडा मजा आया...
आफत की घंटा फिर बजी
बैठेथे घर मे तभी भूकंप आया
थोडा संभलकर देखा, घर जमीन मे पाया
बोलो कितना मजा आया
भाई, बडा मजा आया...
पंच्छियोको उडता देख
पतंग के धागे मे, तो कभी
मोबयील कि रेन्ज्से मार गिराया
बोलो कितना मजा आया
भाई, बडा मजा आया...
आफत की घंटा फिर बजी
बैठे थे हवाई जहाज मे
तभी मोसम खराब होनेकां संदेशा आया
झटसे बिजली कडकते, जहाज को मार गीराया
बोलो कितना मजा आया
भाई, बडा मजा आया ...
अब सोचो, थोडासा जाणो इंसांनो
अपने धर्म कर्म मर्म को पेहेचानो
अपनी ताकद का ना गलत इस्तमाल करो
फिरभी समझ न आया
तो कितना मजा आया
भाई, बडा मजा आया ....
-प्रवीण बाबूलाल हटकर.
मो: ८०५५२१३२८१
अकोला.